मुझसे पिछले बरस की बात न कर
पूछ अगले बरस में क्या होगा
मुझसे पिछले बरस की बात न कर
यह बता हाल क्या है लाखों का
मुझसे दो-चार-दस की बात न कर
यह बता क़ाफ़िले पै क्या गुज़री?
महज़ बाँगे-जरस की बात न कर
क़िस्सए-शैख़े-शहर रहने दे
मुझसे इस बुलहबिस की बात न कर
- स्वर्गीय पंडीत बालमुकुंद "अर्श" मलसियानी
संदर्भ - यामधील पहिला शेर माझ्या वाचनात आला तो सुरेश भट यांच्या एल्गार या कवितासंग्रहाच्या प्रस्तावनेमध्ये.
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ReplyDeleteपूछ अगले बरस में क्या होगा
मुझसे पिछले बरस की बात न कर
यह बता हाल क्या है लाखों का
मुझसे दो-चार-दस की बात न कर