मराठी कविता संग्रह

खत्म ना हो

18:56 सुजित बालवडकर 0 Comments Category : ,

ये चांदनी रात ये मुलाकात खत्म ना हो
करो बिछडने की बात पर बात खत्म ना हो

कुछ इस तरह गुफ़्तगू करें आज दो निगाहें
जवाब सूझे नहीं , सवालात खत्म ना हो

नज़र झुकाओ के ये अंधेरा ही जल न जाये
सुबह से पहले सितारों का साथ खत्म ना हो

हरेक पल ख्वाहिशों से पर्दा फिसल रहा है
के आज ही आज सारे जज़्बात खत्म ना हो

कवीः वैभव जोशी


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