इस बार नही
इस बार नही – By Prasoon Joshi (after the mumbai terror attacks)
काल परवा सहज कुठलेसे awards बघताना प्रसून जोशी यांचं वाक्य ऐकलं "......thanks for giving award to poetry based lyrics "(.....अशाच अर्थाचं काहीसं). तेव्हा वाटल यांच्या कविता वाचायला हव्यात. प्रसून जोशी यांची मला सापडलेली हि पहिलीच कविता...
इस बार जब वो छोटी सी बच्ची मेरे पास अपनी खरोच ले कर आएगी
मैं उसे फूं-फूं कर नही बहलाऊगा
पनपने दूंगा उसकी टीस को
इस बार नही
इस बार जब मैं चेहरों पर दर्द लिखा देखूंगा
नही गाऊंगा गीत पीड़ा भुला देने वालें
दर्द को रिसने दूंगा, उतरने दूंगा अंदर गहरे
इस बार नही
इस बार मैं ना मरहम लगाऊंगा
ना ही उठाऊंगा रुई के फाहे
और ना ही कहूंगा कि तुम आँखे बंद करलो, गरदन उधर करलो, मैं दवा लगाता हूँ
देखने दूंगा सबको, हम सबको खुले नंगे घाव
इस बार नही
इस बार कर्म का हवाला देकर नही उठाऊंगा औज़ार
नही करुंगा फिर से एक नयी शुरुआत
नही बनुंगा मिसाल एक कर्मयोगी की
नही आने दूंगा ज़िंदगी को आसानी से पटरी पर
उतरने दूंगा उसे किचड़ में, टेढ़े मेढ़े रासतों पे
नही सूखने दूंगा दिवारों पर लगा खून
हल्का नही पड़ने दूंगा उसका रंग
इस बार नही बनने दूंगा उसे इतना लाचार कि पानी की पींक और खून का फर्क ही खतम हो जाये
इस बार नही
इस बार घावों को देखना है
गौर से थोडा लम्बे वक्त तक
कुछ फैसले और उसके बाद हौसले
कही तो शुरआत करनी होगी
इस बार यही तेय किया है ।
- प्रसून जोशी
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