कोई तो शहर होगा
कोई तो शहर होगा जहाँ गुनेहगार डरता होगा
कोई तो डरपोक ईमान से सरोकार करता होगा
क्या लाश को खुद चलके जाना होगा कब्र तक?
कोई तो स्याना कंधो का कारोबार करता होगा
एक उम्मीद से नहीं बेचीं मैंने सरहदवाली जगह
कोई तो भाईचारा तस्करी से उसपार करता होगा
ख़ुशीके आँसू की दवाई लेकर ये सोचे घूमता रहा
कोई तो ख़ुशी से गले लगाकर बीमार करता होगा
छालो के रंग बदलने के खातीर मुल्क बदलते गये
कोई तो पिघलाकर फूंक के औजार करता होगा
जिंदगी की बची रोटियाँ वसीहत बनाके जा रहा हूँ
कोई तो भूखा सेहरी के लिए असफार करता होगा
- तनवीर सिद्दीकी
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