..( आमीन )..
हर रोज बहलाता हूँ बच्चे को चाँद दिखाकर
एक दिन मै जरुर दूँगा उसे खिलौना लाकर
मै अबतक नहीं सिख पाया माँ बाप से सबकुछ
वे चालाकी से डकारते है आधे पेट खाकर
लड़की का बोझ तो समझने लगी मेरी बेटी
बस उससे नजर मिला पाऊ हिम्मत जुटाकर
एकदिन मेरे बच्चे बहोत ऊँचाई पे उड़ेंगे
एकदिन मै भी लाऊँगा आसमाँ कमाकर
मै जानने लगा जो मेरा है मुझे सब मिलेगा
तबसे दुआँ भी करता हूँ मेरे ख्वाब घटाकर
बरकत हो रदीफ़ काफिये में, एक दिन ही सही
एक ही गजल लिखूंगा वो भी नाम हटाकर
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- तनवीर सिद्दीकी
1 अभिप्राय
Wah ! Apratim !
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