सुनसान गली में...
सुनसान गली में आया था गुमनामसा कोई सौदाई
इक ख्वाब खरीदा था हमने और मुक्त मिली थी तनहाई
सारी मेहेफिल में हम ही थे जो बात समझकर मचल गये
कहने को उन्होंने जुल्फ जरा उलझाई फिर से सुलझाई
वो महकासा आकाश अभी भी चांद से लिपटे सोया था
कल रात उडेली खूशबू को जब ले के उडी थी पुरवाई
उस जलती, तपथी धूप बिना महसूस अकेला होता है
कब धुंद हटेगी राहों से.. कब हाथ लगेगी परछाई
इन आती जाती साँसो से लाशों पर तोहमत लगती है
अब आस हैं सिर्फ कयामत की अब खत्म भी हो ये रुसवाई
गीतकारः वैभव जोशी
गायकः विभावरी जोशी, शुभा जोशी
चित्रपट - पाउलवाट
मूळ दुवा - http://paulwaatthefilm.com/song
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