तुम बिन ….
हर ख़ुशी अधुरी सी
हर लम्हा खाली सा
हर बात आधी सी
लगती है तुम बिन …²
जिंदगी मे तुम शामिल हो इस कदर
दिल कि हर धडकन प्यासी
आती जाती हर सांस आधी
बदन के साथ लीपटी परछाई
लगती है जैसे पराई
तुम बिन …²
दूर होकर भी छाये हो मेरी जिंदगी मे ऐसे
सुरज पर छाता है चांद जैसे
हर सांस घुटती है
हर लम्हा बोझ लगता है
जिंदगी मे एक विराणी
छीपी है जैसे
तुम बिन …²
मर भी नही सकते है तुम बिन,
मगर जिये भी तो कैसे बताओ
तुम बिन …²
तुम बिन …²
- विनिता पिसाळ
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